छत्तीसगढ़ चुनाव में राजीव गांधी किसान न्याय योजना कांग्रेस का मील का पत्थर

शशांक
रायपुर: इस समय 20 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदी कि कांग्रेस सरकार की किसान न्याय योजना की चर्चा छत्तीसगढ़ में खूब हो रही है। और लग रहा कि भाजपा धान खरीदी पर बेक फुट पर आ गई है! और दोनों (कांग्रेस – भाजपा) पार्टी में वॉक युद्ध होरहा है ! जहां एक ओर कांग्रेस कह रही है कि चुनाव के लिए मील का पत्थर साबित होगी राजीव गांधी किसान न्याय योजना वहीँ भाजपा चावल खरीदी में केंद्र सरकार की अहम भूमिका पर पीठ थपथपा रही है।‌इस पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता प्रकाश मणी वैष्णव ने कहा कि हर बार की तरह भूपेश सरकार द्वारा की गई सफल धान खरीदी और इस बार की गयी 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी की घोषणा से बीजेपी बुरी तरह से मायूस है। बीजेपी जानती है कि इस चुनावी वर्ष में 20 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से सफलतापूर्वक धान खरीदी हो गई, तो किसान विरोधी होने की पर्याय बन चुकी बीजेपी को इस चुनाव में 14 सीट बचाने में भी मुश्किल हो जाएगी। उनहोंने आगे कहा कि हर बार की तरह इस बार भी छत्तीसगढ़ बीजेपी केंद्र सरकार के साथ मिलकर धान खरीदी को बाधित करने के तरह -तरह की षड्यंत्र रच रही है।
इस षड्यंत्र की शुरुआत केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार से चावल खरीदी के कोटे को घटाकर किया है। भूपेश सरकार से भयभीत मोदी सरकार और बीजेपी ने छत्तीसगढ़ से चावल खरीदी के कोटे को 86 लाख मिट्रिक टन से घटाकर 61 लाख मिट्रिक टन कर दिया है। इसके लिए मोदी सरकार ने बायोमीट्रिक सिस्टम को अनिवार्य किया है। ओर इसको लेकर भूपेश सरकार ने केंद्र सरकार को आपत्ति भरा पत्र भी लिखा है।
केंद्र सरकार चाहती है कि भूपेश सरकार धान खरीदी को लेकर अपने कदम पीछे हटा ले, मगर भूपेश सरकार किसान कल्याण के कृत संकल्प है और कैसे भी परिस्थिति केंद्र सरकार पैदा कर ले भूपेश सरकार अपना कदम पीछा नहीं करेगा
छत्तीसगढ़ बीजेपी के नेता जब भी केंद्र सरकार के साथ मिलकर धान खरीदने में अड़चन डालने का प्रयास करते हैं, भूपेश सरकार हर बार कोई नया तरीका अपने वादे को पूरा करने के लिए निकाल लेती है। जब भूपेश सरकार द्वारा 2500 रु समर्थन मूल्य देने पर केंद्रीय पूल में चावल न लेने की बात केंद्र सरकार द्वारा कही गई तब भूपेश सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना लाकर अपना वादा निभाया।
मोदी सरकार ने उसना चावल लेने से मना कर दिया तब भी भूपेश सरकार ने किसानों से 2500 रु में खरीदी कर बाजार में 1300-1400 में नीलाम कर घाटा सहा ओर किसानों को घाटा नहीं होने दिया। पिछली बार भूपेश सरकार ने धान खरीदी के लिए 35000 करोड़ कर्ज लिया था और इस बार भी जरुरत पड़ी भूपेश सरकार किसानों के लिए अपना खजाना खोल दे गई! लेकिन किसानों को नुकसान नहीं होने देंगे।
इस से लगता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भूपेश सरकार की धान खरीदी बहुत बड़ा मुद्दा होने बाला है

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